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What is the History of USB | यू0एस0बी0 का इतिहास क्या है?

दोस्तों, USB का पूरा नाम Universal Serial Bus होता है। USB किसी भी पेरिफेरल डिवाइस को कम्प्यूटर से कनेक्ट करने कार्य करता है जैसे- Digital Camera, Printers, Scanners, Smart Watch, iPod, MP3 Players, Keyboard, Mouse, Speakers, SSD इत्यादि । आज से लगभग 20 साल पहले डाटा को स्टोर करने के लिए CD(Compact Disc), DVD(Digital Versatile Disc) का सबसे ज्यादा प्रयोग होता था परन्तु जब से पेनड्राइव अस्तित्व में आया, तब से CD, DVD का प्रयोग धीरे-धीरे समाप्त होता गया, क्योंकि CD में 700MB तथा DVD में 4.7 GB का ही डेटा स्टोर होता था। इसके बाद Blue-ray Disc  का समय आया, जिसकी क्षमता 25जीबी तक है परन्तु पेनड्राइव इससे कहीं आगे लगभग 512 जीबी तक का डेटा स्टोर कर सकता है और यह क्षमता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाएगी। अब सभी कम्पनियां ज्यादा स्टोरेज क्षमता वाली पेनड्राइव बनाने में कार्यरत हैं। पेनड्राइव ने भी काफी लंबा सफर तय किया है जिसके फलस्वरूप उनकी स्टोरेज क्षमता MB से लेकर आज GB तथा TB तक पहुंच चुकी है। आज ज्यादातर यूजर 64GB, 128GB पेनड्राइव का उपयोग करने लगे हैं। USB को Jump Drive, Pen Drive, Thumb Drive, Flash Drive के नाम से भी जाना जाता है।



अब इसके इतिहास पर एक नजर डालते हैं:-

  1. सन् 1994 में पहली USB का अविष्कार, इंटेल के अजय भट्ट और USB-IF(USB Implementers Forum , Incorporation) ने मिलकर किया था। इस संगठन में Intel, Microsoft, Compaq, LSI, Apple व HP(Havellet Packard) जैसी कम्पनियां शामिल थी। अगर Compatibility की बात की जाए तो एक USB Port 127 डिवाइसेस को चला सकता है।
  2. सन् 1995 के अंतिम महीनों में 12mbps की गति से डाटा ट्रासंफर करने वाली USB 1.0 सामने आई। इसके बाद इसका संशोधित वर्जन USB 1.1 न केवल तेज गति से डाटा ट्रांसफर कर सकता था बल्कि कम Bandwidth के डिवाइसेस के लिए भी 1.5mbps की गति पर भी काम कर सकता था।
  3. सन् 2000 में USB 2.0 सामने आई जो 480 mbps की तेज रफ्तार से 40 गुना तेजी से डाटा ट्रांसफर करने में सक्षम थी। यह कम Bandwidth वाले डिवाइसेज के लिए 12mbps तथा माउस जैसे कम Bandwidth वाले डिवाइसेज के लिए 1.5mbps की कम स्पीड पर भी काम करने में सक्षम थी। USB 2.0 पोर्ट में USB 1.1 वाले डिवाइसेज काम करते थे जबकि USB 1.1 वाले पोर्ट में USB 2.0 वाले डिवाइसेज काम नहीं करते थे।
  4. सन् 2000 में ही सिंगापुर की कंपनी ट्रैक टेक्नोलॉजी एवं आई बी एम ने व्यावसायिक स्तर पर फ्लैश ड्राइव बेचना शुरू किया। ट्रैक टेक्नोलॉजी ने ‘Thumb Drive’ मॉडल निकाला और IBM ने (एम सिस्टम द्वारा निर्मित) ‘DiskOnKey’ प्रोडक्ट के साथ, उत्तरी अमेरिका में पहली ऐसी ड्राइव्स की मार्केटिंग की। IBM की ड्राइव 15 दिसम्बर 2000 को बाजार में आई और उसकी स्टोरेज क्षमता 8MB थी।
  5. 1 अप्रैल 2001 को 60mbps की अधिकतम High Bandwidth जोड़कर दूसरी पीढ़ी की फ्लैश ड्राइल लांच की गई जिसे आज ‘High Speed’ कहा जाता है।
  6. सन् 2003 , जून को स्टोरेज क्षमता बढ़ाकर 500 एमबी तक कर दी गई, जो कि पहले 8 एम की थी।
  7. लगभग सन् 2005 के बाद से USB की स्टोरेज क्षमता लगातार बढ़ती गई, 500एमबी से 1GB, 2GB, 4GB तक हो गई और 4 GB Pen Drive काफी समय तक लोगों से प्रयोग किया ।
  8. सन् 2006 से अलग-अलग डिजाइन की पेनड्राइव आने लगी, कहीं रोबोट स्टाइल तो कहीं छल्ले के आकार की पेनड्राइव और इन्ही के साथ कई सारे Brands भी मार्केट में आ गए जैसे- Kingston, SanDisk, HP, Samsung, Transcend, Verilux इत्यादि।
  9. लगभग सन् 2008 के बाद से USB की स्टोरेज क्षमता बहुत तेजी से विकास हुआ। 8GB, 16GB, 32GB, 64GB, 128GB, 256GB, 512GB तक की पेन ड्राइव मार्केट में उपलब्ध है।

USB के Versions:-

VersionsDescription
USB 1.1इसकी अधिकतम डाटा ट्रांसफर गति 12 mbps होती है, इसे फुल-स्पीड भी कहा जाता है।
USB 2.0इसकी डाटा ट्रांसफर गति 480mbps, इसे हाई-स्पीड भी कहा जाता है।
USB 3.0इसकी अधिकतम डाटा ट्रांसफर गति 5gbps होती है, इसे सुपर-स्पीड भी कहा जाता है।
USB 3.1इसकी अधिकतम डाटा ट्रांसफर गति 10gbps होती है।
USB 3.2इसकी अधिकतम डाटा ट्रांसफर गति 20 gbps होती है।
USB 4इसकी अधिकतम डाटा ट्रांसफर गति 80gbps होती है।



Connector के आधार पर USB के प्रकार :-

USB Type ‘A’:-

USB Type A

सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला USB Type ‘A’ ही है। इसमें  माउस, कीबोर्ड, पेनड्राइव, इत्यादि में इसका इस्तेमाल किया जाता है।



USB Type ‘B’:-

 USB Type B

इस तरह की USB का प्रयोग प्रिटंर में किया जाता है।  इसका आकार Type ‘A’ से बिल्कुल अलग होता है।

USB Type ‘C’:-

 

यह आज की टेक्नोलॉजी है , आज इस प्रकार की USB का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। Type ‘C’ का पोर्ट लैपटॉप में दिया जाने लगा है। टैबलेट तथा डेस्कटॉप कम्प्यूटर में भी इसका प्रयोग होने लगा है। इसका आकार बायें तथा दायें से गोल होता है। इसमें कहीं से पिन टूटने का भी डर नहीं रहता है। मोबाइल में फास्ट चार्जिंग में इसका प्रयोग किया जाता है।



Mini और Micro  USB Connector:

micro and mini USB connector

Mini USB connector:-

इस प्रकार की USB का प्रयोग पहले के मोबाइल चार्जिंग में किया जाता था परन्तु अब इनकी जगह Type ‘C’ का प्रयोग किया जाने लगा है तथा इसका प्रयोग एक्सटर्नल हार्डडिस्क में भी सबसे ज्यादा किया जाता है। आकार में छोटा होने के कारण इसे मिनी यूएसबी कहा जाता है।

Micro USB Connector:-

जब मोबाइल के एक दौर की शुरूआत हुई थी, तब पुराने मोबाइल के चोर्जरों में इस प्रकार के कनेक्टर व यूएसबी देखने को मिलते थे। यह देखने में मिनी कनेक्टर व यूएसबी की तरह दिखती है लेकिन मिनी से आकार थोड़ा बड़ा होता है , इसलिए एक Micro USB Connector भी कहा जाता है।







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