What is Cryptography | क्रिप्टोग्राफी क्या है?
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दोस्तों, डाटा की हमारी जिंदगी में कितनी एहमियत है, ये तो आप बहुत अच्छे से जानते होंगे। आज हमारी सारी जानकारी चाहें वह Financial हो, चाहें हमारे Contact Number हों, घर और ऑफिस का पता या फिर हमारे पैन कार्ड, आधार कार्ड हो, सभी जानकारी लोगों की नजर में है। आज हमारा डाटा कितना सुरक्षित है इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन फिर भी हम सभी का यह प्रयास रहता है कि जितना ज्यादा हो सके हम अपने डाटा को सुरक्षित करें। अगर आप कम्प्यूटर का ज्ञान रखते हैं तो आपने क्रिप्टोग्राफी शब्द के बारे में जरूर सुना होगा। आज क्रिप्टोग्राफी शब्द बहुत विशाल बन गया है। इसके जरिये आप अपने डाटा को बिल्कुल सिक्योर कर सकते हैं। इस पोस्ट पूरा पढ़िएगा यह जानकारी आपके बहुत काम आने वाली है। आइये इस पोस्ट में Cryptography के बारे में गहराई से जानें कि इसमें ऐसा क्या है कि सूचनाओं की गोपनीयता को बनाये रखता है।
क्रिप्टोग्राफी क्या है?
- Cryptography एक ऐसी Technique है जिसमें आप संचार माध्यमों के जरिये सूचनाओं का आदान-प्रदान करते समय उन्हें गुप्त रख सकते हैं और ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं कि आपके अलावा अन्य कोई भी इन सूचनाओं को न पढ़ सके।
- Cryptography एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ होता है- गुप्त और लिखावट।
- इसे भेजने वाला और प्राप्त करने वाला ही पढ़ सकता है।
- इसकी शुरूआत 1970 के दशक में हुई थी।
- Cryptography सीक्रेट कोड लिखने की एक पुरानी कला है।
- क्रिप्टोग्राफी का सबसे पहला डॉक्यूमेंट 1900 BC में लिखा गया था।
- क्रिप्टोग्राफी में Mathematics, Number Theory, Information Theory, Computational Complexity, Statistics और Combinatorics का भरपूर इस्तेमाल होता है।
- कुछ विशेषज्ञों का यह मानना है कि क्रिप्टोग्राफी राइटिंग के अविष्कार के समय स्वंय ही उपस्थित हो गयी थी। डाटा और टेलीकम्यूनिकेशन में क्रिप्टोग्राफी उस समय आवश्यक होती है जब किसी Untrusted Medium से कम्यूनिकेट किया जा रहा हो जो Application to Application कम्यूनिकेशन के Context के साथ में कुछ विशेष सिक्योरिटी की आवश्यकता होती है, जैसे-
Authentication: किसी भी Indentity को प्रस्तुत करने का प्रोसेस।
Privacy/Confidential: यह सुनिश्चित करता है कि रिसीवर के अतिरिक्त कोई भी मैसेज को पढ़ नहीं सकता है।
Integrity: यह रिसीवर को यह सुनिश्चत कराता है कि प्राप्त किया गया मैसेज ऑल्टर(Alter) नहीं किया गया है।
Non-Repudiation: यह एक ऐसी मैकेनिज्म है जो यह सिद्ध करता है कि Sender ने वास्तव में यह मैसेज Send किया है।
Cryptography डाटा को केवल चोरी होने या Alter होने से ही नहीं रोकती है बल्कि User Authentication के लिये भी उपयोग की जा सकती है। सामान्यत: 3 प्रकार की क्रिप्टोग्राफी स्कीम का उपयोग किया जाता है- Secret Key(Symmetric) Cryptography, Public Key(या Asymmetric) Cryptography और Hash Function। इन सभी स्थितियों में Un-Encrypted डाटा को एक Plain Text माना जाता है। इसके बाद यह CIPHERTEXT(यह एक ऐसा टेक्स्ट होता है जिसे Alphabets, Numbers, Symbols होते हैं जिसे कोई पढ़ नहीं सकता) में Encrypt होता है जो बाद में उपयोगी Plain Text में Decrypt हो जाता है।
एनक्रिप्शन के प्रकार
क्रिप्टोग्राफिक एलगोरिथम विभाजित करने के बाद कई सारे तरीके हैं। यह Key नम्बर्स के आधार पर विभाजित किये जा सकते हैं जो एनक्रिप्शन और डिक्रिप्शन के लिये उपयोग किये जाते हैं और बाकी अपनी एप्लीकेशन और उपयोगिता के आधार पर स्पष्ट किये जाते हैं।
Secret Key Cryptography:
- सीक्रेट की क्रिप्टोग्राफी के साथ एक सिंगल की को एनक्रिप्शन और डिक्रिप्शन दोनों के लिये उपयोग किया जाता है। सेन्डर प्लेन टेक्स्ट को एनक्रिप्ट करने के लिये की का उपयोग करता है और रिसीवर को CIPHER TEXT सेन्ड करता है रिसीवर उसी की को मैसेज को डिक्रिप्ट करने के लिए उपयोग करता है और प्लेन टेक्ट्स को रिकवर करता है चूंकि एक सिंगल की को दोनों फंक्शन के लिये उपयोग किया जाता है इसीलिए सीक्रेट की क्रिप्टोग्राफी को Symmetric Encryption भी कहा जाता है।
Secret Key Cryptography Scheme को सामान्यत: STREAM CIPHERS या BLOCK CIPHERS में विभाजित किया जाता है। STREAM CIPHERS एक बार में सिंगल बिट पर ऑपरेट किये जाते हैं और कुछ प्रकार की Feedback Machanism को implemented करते हैं इसीलिए Key हमेशा परिवर्तित होती रहती है।
BLOCK CIPHERS को कई प्रकार से ऑपरेट किया जा सकता है परन्तु निम्नलिखित 4 मैथेड महत्वपूर्ण होते हैं-
1. इलेक्ट्रॉनिक कोडबुक:
यह मोड सबसे Simple और Trusted एप्लीकेशन होता है। सीक्रेट की का उपयोग प्लेन टेक्स्ट ब्लॉक को साइफर टेक्स्ट ब्लॉक में एनक्रिप्ट करने के लिए किया जाता है। दो Indentical प्लेन टेक्स्ट ब्लॉक्स एक समान साइफर टेक्स्ट ब्लॉक को जनरेट करते हैं। जबकि यह ब्लॉक साइफर्स का सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला मोड है।
2. साइफर ब्लॉक चेनिंग:
यह मोड फीडबैक मैकेनिज्म को एनक्रिप्शन स्कीम के साथ जोड़ देता है। इस मोड में, प्लेन टेक्स्ट के दो Identitical ब्लॉक्स एक जैसे साइफर टेक्स्ट को कभी भी एनक्रिप्ट नहीं करते हैं।
3. साइफर फीडबैक:
यह मोड Self Synchronizing Stream की तरह ही ब्लॉक साइज से छोटे डाटा को यूनिट्स में Encrypt करता है जो कुछ एप्लीकेशन जैसे Encrypting Interactive Terminal Input के लिए उपयोगी हो सकता है। यदि मान लीजिए कि हम 1 बाइट(एक कैरेक्टर) साइपर फीडबैक का इस्तेमाल कर रहे हैं तो प्रत्येक Incoming Character Block के साइज जैसे ही शिफ्ट रिजस्टर में स्थापित किया जाता है, फिर इसे Encrypt किया जाता है और ब्लॉक में उपस्थित अतिरिक्त बिट्स को छोड़ दिया जाता है।
4. आउटपुट फीडबैक:
यह मोड Synchronous Stream Cipher के समान Block Cipher लागू करता है। आउटपुट फीडबैक एक जैसै प्लेन टेक्स्ट को इंटरनल फीडबैक मैकेनिज्म का उपयोग करके एक जैसे साइबर टेकस्ट ब्लॉक को जेनरेट करने से रोकता है। जो प्लेन टेक्स्ट और साइफर टेक्स्ट बिटस्ट्रीम दोनों का अलग-अलग होता है।
आजकल निम्नलिखित सीक्रेट क्रिप्टोग्राफी एल्गोरिथम को उपयोग किया जा रहा है।
Data Encryption Standard:
आजकल Secret Key Cryptography द्वारा जो स्कीम उपयोग की जा रही है वह DES(Data Encryption Standard) स्कीम है जो 1970 में आईबीएम द्वारा डिजाइन की गयी थी और National Bureau of Standards द्वारा अपनायी गयी थी। DES एक Block Cipher है जो 56 बिट को रखता है और जो 64 बिट्स ब्लॉक्स पर ऑपरेट होता है। DES , Rules और Transformation का एक जटिल सेट होता है। IBM ने DES के लिए 112-बिट की का प्रस्ताव भी रखा है जोकि गवर्नमेंट द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था। DES भी दो प्रकार के होते हैं-
- 3DES(ट्रिपल DES): DES की यह फार्म तीन 56 बिट की का प्रयोग करती है और ब्लॉक के माध्यम से 3 एनक्रिप्शन/डिक्रिप्शन की को पास करता है।
- DESK: यह वैरियेन्ट रॉन रिवेस्ट(RON RIVEST) द्वारा बनाया गया था। इसको एनक्रिप्शन से पहले प्लेन टेक्स्ट में 64 अतिरिक्त की बिट्स को जोड़ने के लिए बनाया गया था।
Advanced Encryption Standard:
1997 में NIST(पहले NBS(National Bureau Standards) था अब यह National Institute of Standards and Technology के नाम से जाना जाता है।) ने S गवर्नमेंट एप्लीकेशन्स के लिए एक नया सुरक्षित क्रिप्टोसिस्टम को विकसित किया था। उसके बाद AES(Advanced Encryption Standard) दिसम्बर 2001 में DES के लिए Official Successor बन गया था। AES एक SKC(Secret Key Cryptography) का उपयोग करता है। जो RIJNDAEL कहलाती है। RIJNDAEL एक ब्लॉक साइफर है जो बेल्जियम क्रिप्टोग्राफर्स John Demen और Vincent Ridgeman द्वारा डिजाइन किया गया था। यह एलगोरिथम Variable Block Length और Key-Length का उपयोग करती है। यह Specification 128,192 या 256 बिट्स वाले Block Length के Combination का उपयोग करता है।
International Data Encryption Algorithm:
सीक्रेट की क्रिप्टोसिस्टम XUEJIA LAI और JAMES MARREY द्वारा 1992 में लिखा गया था और यह AES की तरह 64 बिट तथा 128 बिट SKC(Secret Key Cryptography) का प्रयोग करता है।
Public Key Cryptography:
Public Key Cryptography को पिछले लगभग 300-400 सालों में Cryptography का सबसे विशेष और नया डेवलेपमेन्ट माना गया है। PKC(Public Key Cryptography) को सबसे पहले स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर Martin Hellman और स्नातक छात्र Whitfield Diffie द्वारा 1976 में सार्वजनिक रूप से Describeकिया गया था। इसे Asymmeteric Cryptography भी कहा जाता है। PKC(Public Key Cryptography) में दो कीज का प्रयोग किया जाता है। पहली है Public Key और दूसरी है Private Key। Public Key ओनर की इच्छानुसार प्रयोग की जा सकती है जबकि Private Key केवल उसी व्यक्ति के द्वारा प्रयोग की जा सकती है जिसके लिए उसे Authorised किया गया है। Public Key का प्रयोग आजकल Digital Signature में प्रयोग किया जाता है जबकि Private Key आपको बैंक के लॉगइन पासवर्ड में प्रयोग किया जाता है।
MD5 हैश फंक्शन:
हैश फंक्शन को वन-वे एनक्रिप्शन भी कहा जाता है। हैश फंक्शन एक ऐसा एलगोरिथम होता है जो किसी भी की का उपयोग नहीं करता है। MD5 हैश फंक्शन में जब यूजर पासवर्ड एंटर करता है तो पासवर्ड एक स्ट्रिंग के रूप में सेव हो जाता है जो कि 128 बिट का होता है।
आप कभी कभी यह सोचते होंगे कि जब हम नेट बैंकिंग करते हैं तो हमारा पासवर्ड बैंक के सर्वर पर मैच तो होता ही होगा तो क्या बैंक के सर्वर पर अगर कोई व्यक्ति बैठा है तो वह हमारा पासवर्ड देख सकता है और हमारे बैंक अकाउंट से रूपये चुरा सकता है। नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं होता है क्योंकि हम जो पासवर्ड एंटर करते हैं तो हमारा पासवर्ड एक लंबी स्ट्रिंग के रूप में सर्वर पर सेव होता है जिसको अगर कोई व्यक्ति देख भी ले तो वह पासवर्ड का अंदाजा नहीं लगा सकता। हमारा पासवर्ड को सिर्फ सर्वर का सॉफ्टवेयर ही डिक्रिप्ट करके मैच करता है। MD5 हैश फंक्शन का प्रयोग नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग , ई-कॉमर्स के क्षेत्र में ज्यादा किया जाता है। हैश फंक्शन कई सारे ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा पासवर्ड्स को एनक्रिप्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है।
आधार का क्रिप्टोसिस्टम कैसे काम करता है?
- Aadhar का बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर किसी विदेशी कंपनी से बनवाया गया है लेकिन इस सॉफ्टवेयर का कंट्रोल UIDAI के पास है।
- Aadhar का सारा Biometric Data 2048 बिट एनक्रिप्शन से सुरक्षित है और इसे कोई भी हैकर हैक या चुरा नहीं सकता।
- इसके लिए एनक्रिप्शन “Public Key” PKI2048 और AES(Advanced Encryption Standard) 256 का उपयोग किया जाता है। ये 2048 और 256 बिट सिस्टम पर काम करते हैं।
- इसके एनक्रिप्शन के लिए यदि 3 या 4 सुपर कंप्यूटर लगा दिये जाये तो भी इसके एनक्रिप्शन को तोड़ा नहीं जा सकता।
- UIDAI, जहां पर आधार का सारा डाटा है वह किसी भी प्रकार की आधार से जुड़ी कोई जानकारी किसी से भी साझा नहीं करता।
आपसे क्या सीखा:
दोस्तों, इस पोस्ट में हमने क्रिप्टोग्राफी के बारे में बताया है जिसकी जानकारी आज के समय में बहुत ही जरूरी है क्योंकि आज हम डिजिटल युग में जी रहे हैं और आज हम जिस वेबसाइट को विजिट करें उसमें पासवर्ड या नेट बैंकिंग करें उसमें भी पासवर्ड की जरूरत पड़ती है तो क्या हमारा पासवर्ड सुरक्षित हैं। यह सारी जानकारियां हमने इस पोस्ट में समझाने का प्रयास किया है फिर भी अगर आपको कुछ और पूछना हो तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं। साथ ही अगर आप किसी स्पेशल टॉपिक (कम्प्यूटर से सम्बन्धित) के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट में अपना टॉपिक लिख कर भेज सकते हैं। हमारा प्रयास रहेगा कि आपके टॉपिक को हम जल्द से जल्द प्रकाशित करें। अगर आपने कुछ सीखा हो तो अन्य लोगों के साथ भी साझा करें और अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे लाइक जरूर करें। आपके लाइक से हमें मोटिवेशन मिलता है जिसके जरिये हम और अधिक पोस्ट लाते रहेंगें।
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